आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भारत में उपभोग बढ़ा, 56 प्रतिशत भारतीय 2025 में जेनरेटिव एआई टूल्स का इस्तेमाल कर रहे AI adoption in India surges; 56 Percent Indians to use generative AI tools by 2025 Like ChatGPT, Google Gemini, Meta Ai, grok ai, DeepSeek



बेंगलुरु। दुनिया भर के लिए भारत एक बड़ा बाजार है। मोबाइल, कंप्यूटर, विविध प्रकार की डिवाइसेस, इंटरनेट, सोशल मीडिया और अब कृत्रिम मेधा के मामले में भी भारत के उपभोक्ता अग्रणी साबित हो रहे हैं। भारत एशिया प्रशांत क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) अपनाने में अग्रणी बनकर उभरा है। बीते मंगलवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष महानगरों के आधे से ज्यादा वयस्क सक्रिय रूप से जेनरेटिव एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। मीडिया मार्केटिंग कंपनी फॉरेस्टर द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि शहरों में रहने वाले 56 प्रतिशत भारतीय 2025 में जेनरेटिव एआई टूल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो 2024 के 44 प्रतिशत से अधिक है, जिससे भारत इस क्षेत्र में अग्रणी बन गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय कंज्यूमर्स न केवल एआई को तेजी से अपना रहे हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर एआई को लेकर उनके ज्ञान का स्तर भी सबसे अधिक है। लगभग 63 प्रतिशत भारतीय वयस्कों का कहना है कि वे एआई को बेहतर तरीके से समझते हैं, जबकि ऑस्ट्रेलिया में यही आंकड़ा केवल 18 प्रतिशत और सिंगापुर में 26 प्रतिशत है। केवल 5 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि वे एआई को नहीं समझते, जो दुनिया भर में सबसे कम प्रतिशत है। अलग-अलग आयु समूहों में मिलेनियल्स को एआई को लेकर सबसे अधिक जानकारी है, जिसमें लगभग 69 प्रतिशत लोगों को एआई की गहरी समझ है। रिसर्च में एक विश्वास विरोधाभास भी सामने आया है। जहां एक तरफ 45 प्रतिशत भारतीय एआई को समाज के लिए एक गंभीर खतरा मानते हैं, दूसरी तरफ एआई को लेकर जानकारी रखने वाले करीब 66 प्रतिशत लोग मानते हैं कि एआई से मिलने वाली जानकारी पर भरोसा किया जा सकता है। यह दर्शाता है कि एआई के बारे में अधिक जागरूकता किस प्रकार सावधानी और आत्मविश्वास दोनों लाती है।

फॉरेस्टर 64 प्रतिशत भारतीय कंज्यूमर एआई-पावर्ड लैंग्वेज ट्रांसलेशन सर्विस पर भरोसा करते हैं, जो कि ऑस्ट्रेलिया के 27 प्रतिशत और सिंगापुर के 38 प्रतिशत की तुलना में अधिक है। एआई जोखिमों के प्रबंधन को लेकर भारतीय लंबे समय से स्थापित कंपनियों और बड़ी तकनीकी फर्मों पर सबसे अधिक भरोसा करते हैं, जिनमें से 58 प्रतिशत इन कंपनियों पर भरोसा करते हैं। बैंकों जैसे उच्च विनियमित संस्थानों पर भी काफी भरोसा किया जाता है। यह विश्वास स्तर ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर की तुलना में बहुत अधिक है, जहां निजी कंपनियां आमतौर पर कम भरोसा जगाती हैं।

फॉरेस्टर की प्रमुख विश्लेषक वसुप्रधा श्रीनिवासन ने कहा, भारत का एआई परिदृश्य हाई अडॉप्शन, बेहतर समझ और व्यावहारिक संशयवाद का एक महत्वपूर्ण संयोजन प्रस्तुत करता है। श्रीनिवासन ने आगे कहा, भारतीय कंज्यूमर्स समझदार यूजर्स हैं, जो एआई की क्षमता और जोखिम दोनों को समझते हैं। इससे एक ऐसा वातावरण बनता है, जहां पारदर्शिता, सुरक्षा और विश्वसनीयता उद्यमों के लिए प्रतिस्पर्धी शक्तियां बन जाती हैं।

प्रस्तुति: एपी भारती (पत्रकार, संपादक पीपुल्स फ्रैंड, रुद्रपुर, उत्तराखंड व्हाट्सऐप 9411175848)

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