ईशनिंदा के बहाने बांग्लादेश में फासिस्टों, कट्टरपंथियों का नंगा नाच, खुले आम हिंसा, गुंडई, टीचर, राइटर, रिसर्चर, आर्टिस्ट, जर्नलिस्ट, ह्यूमन राइट्स डिफेंडर, कल्चरल एक्टिविस्ट ने की रोक की मांग Teachers, writers, researchers, artists, journalists, human rights defenders, and cultural activists have demanded a ban on the orgy, open violence, and hooliganism by fascists and fundamentalists in Bangladesh under the pretext of blasphemy



ढाका। शेख हसीना वाजेद के समय उनके समर्थक हिंसा, गुंडई और अन्य मनमानियां करते थे, अब दूसरी जमातों के गुंडों की मनमानी चल रही है। मोहम्मद यूनुस सरकार कानून और व्यवस्था बनाने में नाकाम रही है। इससे लोग बहुत परेशान हैं। कथित ईशनिंदा की आड़ में देश भर में हो रहे बड़े पैमाने पर हमलों, मुकदमों, गिरफ्तारियों और भीड़ के हमलों को तुरंत रोकने की मांग सैकड़ों बांग्लादेशी नागरिकों ने की है। यह मामला धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में बाउल सिंगर अबुल सरकार की गिरफ्तारी और उसके बाद मानिकगंज जिले में उनके फॉलोअर्स पर हुए हमले को लेकर बढ़ते गुस्से और विरोध के बीच हुआ है। 258 नागरिकों के जॉइंट स्टेटमेंट के मुताबिक, पिछले साल जुलाई के प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश में धार्मिक कट्टरता सिर उठाने लगी है, जिसमें एक खास तबका खुद को इस्लाम का एकमात्र एजेंट बताता दिख रहा है, जबकि उसने देश भर में कार्रवाई शुरू कर दी है। बांग्लादेश के प्रमुख बांग्ला दैनिक अखबार प्रोथोम आलो ने साइन करने वालों के हवाले से कहा, 200 से ज्यादा मजारों को गिराना, अनगिनत लोगों को धर्म से भटकने वाला, काफिर या ईशनिंदा करने वाला बताना, लाशों को निकालकर जलाना, बाउल और फकीरों के उलझे हुए बाल जबरदस्ती काटना, महिलाओं को उनके आने-जाने या कपड़ों के लिए परेशान करना, म्यूजिक, डांस और थिएटर के शो में रुकावट डालना और यहां तक कि खेल और मेलों में भी रुकावट डालना। यह सब बताता है कि अलग सोच या लाइफस्टाइल रखने वालों को खत्म करना उनका मकसद बन गया है।

लोगों ने इन हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए असरदार कदम उठाने में नाकाम रहने के लिए मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार की आलोचना करते हुए, कहा कि इन हमलों के पीछे श्ईशनिंदाश् के आरोपों को लगातार मुख्य हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। बयान में आगे कहा गया, डेढ़ साल के बाद भी सरकार के बर्ताव से लगता है कि अपनी जगह मजबूत करने के लिए धार्मिक फासीवाद को चुपचाप बर्दाश्त किया जा रहा है। इससे डेमोक्रेसी के सपोर्टर नागरिकों की निराशा बढ़ रही है और हारी हुई फासीवादी ताकतों की वापसी का रास्ता बन रहा है। इससे बांग्लादेश को ग्लोबल स्टेज पर एक संभावित धार्मिक कट्टरपंथी देश के तौर पर दिखाने के मौके भी मिल रहे हैं।

लोगों ने अबुल सरकार की गिरफ्तारी की भी निंदा की और उनकी तुरंत रिहाई की मांग की। बयान जारी करने वालों में बांग्लादेश में टीचर, राइटर, रिसर्चर, आर्टिस्ट, जर्नलिस्ट, ह्यूमन राइट्स डिफेंडर, कल्चरल एक्टिविस्ट और बाउल फॉलोअर शामिल थे। बांग्लादेश में यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत माइनॉरिटी के खिलाफ बढ़ती हिंसा, बढ़ती भीड़ की हिंसा और राजनीतिक विरोधियों की अंधाधुंध गिरफ्तारियां देखी गई हैं। इससे दुनिया भर के लोगों और कई ह्यूमन ऑर्गनाइजेशन में गुस्सा है।

प्रस्तुति: एपी भारती (पत्रकार, संपादक पीपुल्स फ्रैंड, रुद्रपुर, उत्तराखंड)

कृपया हमारी Facebook Profile https://www.facebook.com/ap.bharati.journalist देखिए, अपने सुझाव दीजिए ! धन्यवाद !

प्रेस / मीडिया विशेष - आप अपने समाचार, विज्ञापन, रचनाएं छपवाने, समाचार पत्र, पत्रिका पंजीयन, सोशल मीडिया, समाचार वेबसाइट, यूट्यूब चैनल, कंटेंट राइटिंग इत्यादि प्रेस/मीडिया विषयक कार्यों हेतु व्हाट्सऐप 9411175848 पर संपर्क करें।

#FidelCastro #WorldHistoryonNovember25 ##NoExcuse #LopedeVega #InternationalDayfortheEliminationofViolenceAgainstWomen #RosesRevolutionDay #AndrewCarnegie #CarlBenz #AliceAmbrose #RupaGanguly #ShoppingReminderDay #Plato #Socrates #Quotes #Motivation #Inspiration #Facts #Truth #Nature #Science #Politics #Economy #World #Uttarakhand #Rudrapur #Udhamsinghnagar #AlfredBernhardNobel #BLO #Bangladesh

Post a Comment

और नया पुराने