आव्रजन पर सख्त ब्रिटिश गृहमंत्री शबाना महमूद, डेनमार्क मॉडल अपनाने पर विचार, भारतीय, ऐशियाई प्रवासियों की बढ़ेंगी मुश्किलें British Home Secretary Shabana Mahmood is taking a tough stance on immigration, considering adopting the Danish model, increasing difficulties for Indian and Asian immigrants



लंदन। भारत के धन्नासेठ तो सरकार के साथ मिलकर ब्रिटेन और अन्य देशों में अपने लिए ठिकाना बना लेते हैं लेकिन रोजगार या कारोबार की तलाश में जाने वाले आम लोगों के लिए ब्रिटेन में बसना मुश्किल होता जा रहा है। इंग्लैंड में भारी संख्या में भारतीय, पाकिस्तानी और अन्य ऐशियाई देशों के लोग रहते हैं और वहां जाने वालों की कतार लगी रहती है, लेकिन अब ब्रिटेन सख्त हो रहा है। ब्रिटेन की गृहमंत्री शबाना महमूद बढ़ते आव्रजन से निपटने के लिए डेनमार्क मॉडल अपनाने पर विचार कर रही हैं, जिसमें कड़े नियंत्रण और शरण प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन की योजना शामिल है। ब्रिटिश मीडिया ने इस सप्ताहांत यह खबर दी। डेनमार्क को यूरोप में आव्रजन के मामले में सबसे कठोर देशों में से एक माना जाता है। खबर है कि महमूद ने हाल में गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को डेनमार्क मॉडल का अध्ययन करने के लिए कोपेनहेगन भेजा है ताकि उस मॉडल को ब्रिटेन में भी लागू किया जा सके।

डेनमार्क संघर्षरत इलाकों से आकर सफलतापूर्वक शरण प्राप्त करने वाले अधिकांश लोगों को केवल अस्थायी आधार पर ही तबतक रहने की अनुमति देता है जबतक सरकार उनके गृह देशों को उनके लौटने के लिए सुरक्षित घोषित नहीं कर देती। बीबीसी के मुताबिक डेनमार्क में पारिवार के आधार पर साथ रहने के लिए कड़े नियमों ने ब्रिटेन के गृह मंत्रालय के अधिकारियों का भी ध्यान आकर्षित किया है। इसमें वित्तीय आवश्यकताएं और जबरन विवाह को रोकने के लिए रहने के अधिकार के वास्ते 24 वर्ष से अधिक आयु सीमा और देश में प्रवासी बस्तियों के निर्माण को रोकने के लिए सख्त आवास नियम शामिल हैं।

द संडे टाइम्स के अनुसार, ब्रिटेन में रहने के इच्छुक शरणार्थियों को उच्च स्तर की अंग्रेजी सीखनी होगी और उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए। शरण मिलने पर उन्हें अपने आवास और अन्य सुविधाओं का खर्च भी चुकाना पड़ सकता है। खबर में एक लीक हुए दस्तावेज का हवाला दिया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि गृह मंत्रालय ने कम से कम 14 स्थानों की पहचान की है, जहां 10,000 प्रवासियों को रखा जा सकता है। यह व्यवस्था में बड़े बदलाव का हिस्सा है, ताकि कठोर शर्तें लागू की जा सकें और अधिकांश प्रवासियों को ब्रिटेन में अस्थायी रूप से रहने के लिए प्रतिबंधित किया जा सके।

प्रस्तुति: एपी भारती (पत्रकार, संपादक पीपुल्स फ्रैंड, रुद्रपुर, उत्तराखंड)

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